एंटीबायोटिक प्रतिरोध के अनेक रंग

                              

सूक्ष्मजीवी की दुनिया


एंटीबायोटिक प्रतिरोध के अनेक रंग

एक जीवाणु की कहानी

एक जमाने में बैक्टीरिया एंटीबायोटिक दवाओं से डरते थे। इसके कुछ समय बाद, उन्होंने खुद को उत्परिवर्तन से लैस किया। इन उत्परिवर्तन के कारण, कुछ बैक्टीरिया एंटीबायोटिक दवाओं पर काबू पाने में सक्षम थे। बैक्टीरिया के लिए जीवन आसान था!पर कब तक?

शोधकर्ताओं ने सोचा कि एंटीबायोटिक प्रतिरोध के पीछे का तंत्र सरल है। एक बार जब बैक्टीरिया एक एंटीबायोटिक के खिलाफ उत्परिवर्तन प्राप्त कर लेते हैं, तो वे इसके जीवन को खत्म करने वाली शक्ति का विरोध कर सकते हैं। उन्होंने इस समस्या का मुकाबला करने के लिए कई तरीके ईजाद किए। हालांकि, एल गैलेरा लापोर्टा और जे गार्सिया ओजाल्वो ने पाया है कि एंटीबायोटिक प्रतिरोध उतना सरल नहीं है जितना कि कई लोग समझते हैं। बैक्टीरिया अपने पड़ोसी बैक्टीरिया के साथ बातचीत करके एंटीबायोटिक दवाओं के प्रति अपनी संवेदनशीलता को संशोधित कर सकते हैं। इसलिए, एंटीबायोटिक प्रतिरोध के लिए डिज़ाइन किए गए उपाय भी इतने प्रभावी नहीं हो सकते हैं।

गतिशील एंटीबायोटिक प्रतिरोध

कुछ बैक्टीरिया एक प्रकार के एंटीबायोटिक के प्रति सहिष्णु होते हैं और बाकि दूसरे प्रकार के। जब एंटीबायोटिक दवाओं के प्रति सहिष्णुता की विभिन्न डिग्री वाले दो बैक्टीरिया एंटीबायोटिक दवाओं की उपस्थिति में सह-संवर्धित होते हैं, तो चार संभावित  निष्कर्ष हो सकते हैं (चित्र 1): (ए) सहनशील बैक्टीरिया जीवित रहता है और संवेदनशील बैक्टीरिया मर जाता है; (बी) दोनों बैक्टीरिया जीवित रह सकते हैं क्योंकि सहिष्णु बैक्टीरिया एंटीबायोटिक के खिलाफ संवेदनशील बैक्टीरिया की मदद करता है; (सी) दोनों बैक्टीरिया मर जाते हैं; (डी) सहनशील बैक्टीरिया मर जाता है और संवेदनशील बैक्टीरिया सहनशील जीवाणुओं को निष्क्रिय करने वाले यौगिकों को बनाने की क्षमता का लाभ उठाकर जीवित रहता है।

चित्र 1: एकल संस्कृतियों और सह-संस्कृतियों में एंटीबायोटिक दवाओं के प्रति जीवाणु प्रतिक्रिया का चित्रमय प्रतिनिधित्व। छवि एल गैलेरा लापोर्टा और जे गार्सिया ओजाल्वो के लेख से ली गई है।

एम्पीसिलीन एक व्यापक एंटीबायोटिक है, जिसका अर्थ है कि यह क‌ई बैक्टीरिया के खिलाफ प्रभावी है। शोधकर्ताओं ने एम्पीसिलीन के लिए अलग-अलग संवेदनशीलता वाले दो बैक्टीरिया को चुना: बैसिलस सबटिलिस (बी सबटिलिस) और एस्चेरिचिया कोलाई (ई कोलाई)। जब बी सबटिलिस को व्यापक एंटीबायोटिक एम्पीसिलीन के साथ उगाया जाता है, तो वह सहनशील होता है और थोड़ा धीमा होता है। लेकिन जब ई. कोलाई को व्यापक एंटीबायोटिक एम्पीसिलीन के साथ उगाया जाता है, तो वह संवेदनशील होता है और इष्टतम विकास नहीं दिखाता है। शोधकर्ताओं ने पाया कि जब दो बैक्टीरिया एक साथ उगाए जाते हैं, तो बी सबटिलिस एम्पीसिलीन के प्रति अपनी सहनशीलता खो देता है जबकि ई. कोलाई एम्पीसिलीन के प्रति सहनशील हो जाता है और जीवित रहता है। इसका मत्लब यह है कि सह-संस्कृति की सिथ्ति में, पिछले पैराग्राफ में बताए गए चार परिदृश्यों में से अंतिम मार्ग का अनुसरण होता है।

अब, आप पूछेंगे कि “बैक्टीरिया एंटीबायोटिक प्रतिरोध के खिलाफ़ उत्परिवर्तन हासिल कर लेते हैं। शोधकर्ता गतिशील एंटीबायोटिक प्रतिरोध के इस निष्कर्ष पर कैसे पहुंचे?” शोधकर्ताओं ने एम्पीसिलीन सह-संस्कृती के अलावा बी. सबटिलिस और ई. कोलाई की एकल संस्कृतियों की स्थापना की। उन्होंने इन संस्कृतियों से सतह पर तैरनेवाले तरल को निकाला और में बी सबटिलिस की ताजा संस्कृतियों को विकसित किया। उन्होंने पाया कि बी सबटिलिस की एकल संस्कृतियों से निकाले गए सतह पर तैरनेवाले तरल में बी सबटिलिस का सबसे अच्छा विकास हुआ, बी सबटिलिस और ई कोलाई की सह-संस्कृतियों से निकाले गए सतह पर तैरनेवाले तरल  में बदतर, और ई कोलाई की एकल संस्कृति से निकाले गए सतह पर तैरनेवाले तरल  में सबसे खराब था। (चित्र 2)।

चित्र 2: (ए) बी. सबटिलिस, बी. सबटिलिस/ई कोलाई और ई. कोलाई की संस्कृतियां एम्पीसिलीन की उपस्थिति में उगाए गये। 20 घंटे के बाद, सतह पर तैरनेवाले तरल का मीडिया के रूप में उपयोग किया गया। विभिन्न संस्कृतियों के लिए विकास माप किए गये; (बी) बी सबटिलिस मोनोकल्चर (नीला रेखा), मिक्स्ड कल्चर (हरी रेखा), और ई. कोलाई मोनोकल्चर (नारंगी रेखा) के तरल में बी सबटिलिस  के विकास (ओडी) में बदलाव।

यह नई जानकारी दवा को कैसे प्रभावित करेगी?

रोगाणुओं के बीच इस गतिशील अंतःक्रिया को cooperator-cheater गतिकी के रूप में संक्षेपित किया जा सकता है। Cooperator या सहयोगी बी. सबटिलिस है क्योंकि यह एंटीबायोटिक को निष्क्रिय कर देता है। Cheater ई कोलाई है क्योंकि यह एंटीबायोटिक को निष्क्रिय करने में कुछ भी योगदान नहीं देता है और इसके बजाय बी सबटिलिस द्वारा किए गए सभी कठिन परिश्रम का लाभ उठाता है। लैपोर्टा और ओजाल्वो ने एक अन्य साक्षात्कार में उल्लेख किया कि इस जानकारी का उपयोग रोगजनक बैक्टीरिया के एंटीबायोटिक प्रतिरोध को कम करने के लिए किया जा सकता है। कैसे? गैर-रोगजनक चीटर बैक्टीरिया युक्त प्रोबायोटिक्स प्रदान करके। प्रोबायोटिक बैक्टीरिया की उपस्थिति रोगज़नक़ बैक्टीरिया को एंटीबायोटिक दवाओं के प्रति संवेदनशील बना देगी, जिससे वह कमजोर हो जाएगा।

क्या इसका मतलब यह है कि चिकित्सक एंटीबायोटिक्स निरधारित करने के तरीके को बदल दें? इसका पता लगाने के लिए हमें कुछ और वर्षों के शोध का इंतजार करना पड़ सकता है।

अन्य लेख

1.      Özkaya Ö, Xavier KB, Dionisio F, Balbontín R. Maintenance of Microbial Cooperation Mediated by Public Goods in Single- and Multiple-Trait Scenarios. J Bacteriol. 2017 Nov 15;199(22):e00297-17. https://doi.org/10.1128/JB.00297-17

2.      Katrina Krämer. Cheating bacterium becomes antibiotic-tolerant at expense of other species. Chemistry World 2020 March 10. https://www.chemistryworld.com/news/cheating-bacterium-becomes-antibiotic-tolerant-at-expense-of-other-species/4011320.article

निरूपित चित्र:लेखक द्वारा बनाई गई छवि

अनुवादक: दिशा टंडन